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पंचमुखी हनुमान

धार्मिक डेस्क |
रामायण की कथा में एक प्रसंग ऐसा भी आता है जब भगवान श्रीराम और रावण के मध्य युद्ध के दौरान एक मायावी संकट उत्पन्न हो गया था। रावण को जब यह आभास हुआ कि उसकी सेना पराजय की ओर बढ़ रही है, तब उसने अपने भाई अहिरावण से सहायता मांगी। अहिरावण न केवल माँ भवानी का परम भक्त था, बल्कि वह तंत्र विद्या में भी पारंगत था।

अहिरावण की माया और श्रीराम-लक्ष्मण का अपहरण

अपनी मायावी शक्तियों का प्रयोग करते हुए अहिरावण ने राम की वानर सेना को निद्रा में डाल दिया और अवसर का लाभ उठाकर श्रीराम और लक्ष्मण का अपहरण कर उन्हें पाताल लोक ले गया। वहां वह देवी भवानी को प्रसन्न करने के लिए राम-लक्ष्मण की बलि देने की तैयारी में था।

पंचदीप का रहस्य और हनुमान जी का पंचमुखी रूप

अहिरावण को एक वरदान प्राप्त था कि उसे केवल वही पराजित कर सकता है जो पांचों दिशा में जल रहे दीपकों को एक साथ बुझा सके। यही वह रहस्य था, जिससे वह अब तक अपराजेय बना रहा था। इस कठिन परिस्थिति में हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया और एक ही क्षण में पांचों दीपकों को बुझाकर अहिरावण का वध कर दिया। इस प्रकार श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराया गया।

पंचमुखी हनुमान के पाँच रूपों की महिमा

  1. नरसिंह मुख (दक्षिण दिशा): भय और संकट का नाश करता है।
  2. गरुड़ मुख (पश्चिम दिशा): विष, बाधा और रोग से रक्षा करता है।
  3. वारा मुख (पूर्व दिशा): तेज और शत्रु विनाश का प्रतीक।
  4. हयग्रीव मुख (आकाश दिशा): घोड़े के समान यह मुख करुणा का प्रतीक है और सभी संकटों से रक्षा करता है।
  5. वानर मुख (मुख्य/मध्य रूप): यह हनुमान जी का पारंपरिक मुख है जो शक्ति और भक्ति का संगम है।

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