नई दिल्ली। भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने सोमवार को जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत आगामी जनगणना 2027 से संबंधित एक महत्वपूर्ण गैजेट अधिसूचना जारी की है। यह अधिसूचना देश के प्रशासनिक और सामाजिक ढांचे के लिए बेहद अहम मानी जा रही है। 🗓️ मार्च 2027 तक पूरी होगी जनगणना की प्राथमिक प्रक्रिया गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, जनगणना और जातीय जनगणना दोनों की प्रक्रिया वर्ष 2027 में पूरी की जाएगी। जनगणना की शुरुआत वर्ष 2025 के अंतिम चरण से होगी, और इसके पश्चात कुल मिलाकर यह पूरी प्रक्रिया लगभग 21 महीनों में संपन्न की जाएगी। जनगणना का प्रारंभिक डेटा मार्च 2027 तक सार्वजनिक कर दिया जाएगा, जबकि विस्तृत आंकड़े वर्ष 2027 के अंत तक उपलब्ध कराए जाएंगे। 📊 देश के सामाजिक और आर्थिक स्वरूप को समझने में सहायक यह जनगणना न केवल जनसंख्या आंकड़ों को दर्ज करेगी, बल्कि इसके माध्यम से सरकार को विभिन्न जातीय, सामाजिक व आर्थिक समूहों की वास्तविक स्थिति का भी आकलन करने में मदद मिलेगी। जातीय जनगणना से संबंधित डेटा विशेष रूप से नीतिगत योजनाओं के निर्माण और संशोधन के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। 🏛️ गृह मंत्रालय की भूमिका और तकनीकी तैयारी गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस बार की जनगणना में तकनीकी साधनों और डिजिटल माध्यमों का अधिकतम प्रयोग किया जाएगा ताकि प्रक्रिया पारदर्शी, सटीक और समयबद्ध तरीके से पूरी की जा सके। इस उद्देश्य के लिए स्पेशल ट्रेनिंग, मोबाइल ऐप्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म की भी व्यवस्था की जाएगी।

नई दिल्ली: भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने सोमवार को जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत आगामी जनगणना 2027 से संबंधित एक महत्वपूर्ण गैजेट अधिसूचना जारी की है। यह अधिसूचना देश के प्रशासनिक और सामाजिक ढांचे के लिए बेहद अहम मानी जा रही है।
मार्च 2027 तक पूरी होगी जनगणना की प्राथमिक प्रक्रिया
गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, जनगणना और जातीय जनगणना दोनों की प्रक्रिया वर्ष 2027 में पूरी की जाएगी।

जनगणना की शुरुआत वर्ष 2025 के अंतिम चरण से होगी, और इसके पश्चात कुल मिलाकर यह पूरी प्रक्रिया लगभग 21 महीनों में संपन्न की जाएगी। जनगणना का प्रारंभिक डेटा मार्च 2027 तक सार्वजनिक कर दिया जाएगा, जबकि विस्तृत आंकड़े वर्ष 2027 के अंत तक उपलब्ध कराए जाएंगे।
देश के सामाजिक और आर्थिक स्वरूप को समझने में सहायक
यह जनगणना न केवल जनसंख्या आंकड़ों को दर्ज करेगी, बल्कि इसके माध्यम से सरकार को विभिन्न जातीय, सामाजिक व आर्थिक समूहों की वास्तविक स्थिति का भी आकलन करने में मदद मिलेगी।

जातीय जनगणना से संबंधित डेटा विशेष रूप से नीतिगत योजनाओं के निर्माण और संशोधन के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।
गृह मंत्रालय की भूमिका और तकनीकी तैयारी
गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस बार की जनगणना में तकनीकी साधनों और डिजिटल माध्यमों का अधिकतम प्रयोग किया जाएगा ताकि प्रक्रिया पारदर्शी, सटीक और समयबद्ध तरीके से पूरी की जा सके। इस उद्देश्य के लिए स्पेशल ट्रेनिंग, मोबाइल ऐप्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म की भी व्यवस्था की जाएगी।