यूपीराजनीति

लखनऊ: सीएम योगी ने किया विमुक्त जाति दिवस समारोह का आयोजन

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विमुक्त जाति दिवस समारोह में भाग लिया, जहाँ उन्होंने घुमंतू जातियों के प्रतिभाशाली युवाओं को सम्मानित किया।

31 अगस्त 2025 को लखनऊ के भागीदारी भवन में आयोजित “विमुक्त जाति दिवस” समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घुमंतू, विमुक्त और वंचित समुदायों के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ कीं।

प्रमुख घोषणाएँ और उपलब्धियाँ
घुमन्तू जातियों के प्रतिभाशाली युवाओं का सम्मान: समारोह में सीएम योगी ने घुमंतू जातियों (जैसे नट, बंजारा, बावरिया, सासी, कंजड़, कालबेलिया, सपेरा, जोगी) के मेधावी युवाओं को सम्मानित किया, जिन्होंने सरकारी सेवाओं में नए प्रतिमान स्थापित किए हैं।

घुमन्तू कल्याण के लिए प्रतिबद्धता: योगी सरकार ने घुमंतू और विमुक्त जातियों के उत्थान हेतु प्रतिबद्धता जताई। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इन जातियों के विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए नीति-निर्माण में तेज़ी ला रही है।

जमीन के पट्टे और आवास सुविधा: सरकार ने वंचित जनजातियों को आवासीय और कृषि उपयोग के लिए जमीन के पट्टे देने की प्रक्रिया शुरू की। भूमिहीन व गरीब परिवारों, खासकर एससी/एसटी समुदाय के लोगों, को गाँव सभा की जमीन पर पट्टे देने का निर्णय लिया गया है।

घुमन्तू जनजाति बोर्ड का सृजन: विमुक्त और घुमंतू जातियों के कल्याण के लिए एक विशेष बोर्ड के गठन की घोषणा की गई, जिससे इन समुदायों को सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे मिल सके।

शिक्षा के लिए विशेष प्रयास: प्रदेश के 9 जिलों में जय प्रकाश नारायण (JPN) सर्वोदय विद्यालय खोले गए हैं, जहाँ अनुसूचित जाति/जनजाति एवं पिछड़े वर्गों के छात्र-छात्राओं को निःशुल्क आवासीय शिक्षा मिल रही है। 101 राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों में प्रवेश की व्यवस्था की गई, जहाँ बच्चों को आवासीय सुविधा के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है।

वनटांगिया समुदाय को राजस्व ग्राम का दर्जा: वनटांगिया समुदाय की बस्तियों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया गया है, जिससे उन्हें मतदान, जमीन के अधिकार, स्कूल, अस्पताल, बिजली, पानी आदि बुनियादी सुविधाएँ प्राप्त हुई हैं।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि ब्रिटिश शासन काल में इन जातियों को “क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट” के तहत अपराधी घोषित किया गया था, जिससे वे दशकों तक सामाजिक उपेक्षा और अभाव का शिकार रहे। भारतीय संविधान के लागू होने और बाबा साहब अंबेडकर के प्रयासों के बाद 1952 में इन्हें इस दाग से मुक्ति मिली।

योजनाओं का विस्तार
आवासीय कॉलोनियाँ और मकान: घुमंतू जातियों के लिए कॉलोनियों और पक्के मकान बनाने की योजना पर काम किया जा रहा है, ताकि उनकी आवास समस्या का स्थायी समाधान हो सके।

परिवारों को जमीन का पट्टा: 8600 परिवारों को आवास और 460 हेक्टेयर जमीन खेती के लिए पट्टे पर देने की योजना है।

शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सुविधाएँ: सर्वोदय विद्यालयों में निःशुल्क शिक्षा, भोजन, सांस्कृतिक एवं खेलकूद गतिविधियों, कोचिंग, कैरियर काउंसलिंग आदि सुविधाएँ दी जा रही हैं।

वनटांगिया समुदाय का मुख्यधारा में अंतर्भाव: पहले चरण में 23 बस्तियों को राजस्व गाँव का दर्जा मिला, जिससे अब इन्हें सभी बुनियादी सुविधाएँ मिलीं।

सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास की नीति के तहत, यूपी सरकार द्वारा घुमंतू और विमुक्त समुदायों के समग्र विकास के लिए ये नीतिगत निर्णय दीर्घकालिक सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।

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