
रेल मंत्री से शिकायत: रेलवे स्टेशन पर बंदरों का पानी की टंकी में नहाना
रेलवे स्टेशनों की छतों पर रखी पानी की टंकियों में बंदरों के नहाने की वायरल वीडियोस ने पूरे देश में सनसनी फैला दी है। इन वीडियोज़ में साफ़ देखा जा सकता है कि कई बंदर एकसाथ टंकी में डुबकियाँ लगा रहे हैं, खेल रहे हैं और पानी को गंदा कर रहे हैं। इन टंकियों के पानी का इस्तेमाल स्टेशनों पर फूड स्टॉल, चाय की दुकानों और पीने के पानी के लिए किया जाता है—यह आम जनता में चिंता का विषय बन गया है।

स्वास्थ्य और स्वच्छता के खतरे
रेलवे स्टेशनों पर पेयजल की गुणवत्ता पहले से ही सवालों के दायरे में रही है। पुराने आकलनों में प्रमुख उत्तरी भारत के रेलवे ज़ोन्स में फूटा हुआ पानी बैक्टीरिया, जीवाणुओं (coliform bacteria) से भरा पाया गया है, जिससे पेट की बीमारियाँ, दस्त और अन्य संक्रमणों का खतरा हो सकता है। बंदरों के इन टंकियों में नहाने से यह खतरा और भी बढ़ जाता है, क्योंकि वे जानवर अपनी प्राकृतिक आदतों से इन जलभंडारों को दूषित कर सकते हैं।
नीतिगत मानक और जमीनी हकीकत
भारतीय रेलवे की मैनुअल में पेयजल के लिए सख्त मानक हैं—पानी में किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया या अशुद्धियाँ नहीं होनी चाहिए। टंकियों की नियमित साफ-सफाई और थोड़े-थोड़े समय पर पानी की जाँच भी प्रक्रिया का हिस्सा है। लेकिन ज़मीनी स्तर पर इन नियमों का पालन अकसर लापरवाही से किया जाता है। रेलवे स्टेशनों की खुली टंकियों पर जंगली जानवरों की पहुँच से बचाव के लिए कोई मज़बूत इंतज़ाम नहीं दिखता।
आम लोगों और विशेषज्ञों की चिंता
सोशल मीडिया और समाचार पोर्टल्स पर इस मसले को लेकर चिंता और आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है। कई लेखों और टिप्पणियों में सवाल उठाए गए हैं कि क्या वही पानी पीने और खाने-पीने की चीज़ों में इस्तेमाल हो रहा है? प्रवासियों और यात्रियों के स्वास्थ्य के साथ क्या खिलवाड़ हो रहा है?
क्या हो राष्ट्रीय स्तर पर कदम?
सरकार और रेल मंत्री आश्वनी वैष्णव को इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। टंकियों को सील करने, ऊपर जाली या कवर लगाने, नियमित जाँच और साफ-सफाई की व्यवस्था को सख्ती से लागू करने की ज़रूरत है। आम जनता की सुरक्षा के लिए स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल का प्रबंधन प्राथमिकता होना चाहिए।
आप क्या कर सकते हैं?
रेलवे स्टेशन या अन्य सार्वजनिक स्थलों पर पीने का पानी इस्तेमाल करने से पहले सतर्क रहें।
आपको ऐसी कोई भी अनियमितता दिखे तो Rail Madad पोर्टल (182) या सोशल मीडिया के माध्यम से शिकायत दर्ज कराएँ।
“साफ पानी हर नागरिक का अधिकार है”—इस अधिकार की माँग जरूरी है।
रेलवे स्टेशनों के पानी की टंकियों में जानवरों के घुसने और नहाने का वीडियो केवल एक “मजेदार क्लिप” नहीं, बल्कि हमारे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन की गंभीर खामी है। यह बताता है कि आधारभूत सुविधाएँ—खासकर पेयजल—पर अब भी कितनी लापरवाही है। अब आवश्यकता है कि जन सुरक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे पर आवाज़ उठाई जाए और माँग की जाए कि इन कमियों को तुरंत दूर किया जाए।