चित्रकूट: अगरहुड़ा गांव में मानकविहीन निर्माण और अवैध खनन की आशंका, वन विभाग की भूमिका पर उठे सवाल

रिपोर्ट – विजय त्रिवेदी
मानिकपुर, चित्रकूट: सरकार की तमाम योजनाओं को जमीनी स्तर पर उतारने के प्रयास लगातार जारी हैं, लेकिन कुछ स्थानीय स्तर की लापरवाहियां इन प्रयासों को प्रभावित कर रही हैं। मानिकपुर तहसील अंतर्गत रैपुरा थाना क्षेत्र के अगरहुड़ा ग्राम पंचायत में अडबंगन पुरवा से राजा राम गौतम के घर तक बनाई जा रही सड़क में निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
मानकविहीन सामग्री का उपयोग
सूत्रों के अनुसार, निर्माण कार्य में बालू की जगह डस्ट, लोकल पंथर, और अवैध मोरम का उपयोग किया गया है। यह न केवल निर्माण मानकों का उल्लंघन है, बल्कि इससे वन विभाग की भूमि और संसाधनों को भी नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। चूंकि सड़क निर्माण स्थल वन क्षेत्र से सटे हैं, इसलिए यह मामला और अधिक गंभीर हो जाता है।

विभागीय भूमिका पर उठे सवाल
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि इस पूरी प्रक्रिया में वन विभाग की भूमिका संदेहास्पद रही है। सूत्रों की मानें तो विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है। वहीं, राजस्व विभाग से जुड़े कर्मचारियों, विशेषकर क्षेत्रीय लेखपाल, की भूमिका भी स्पष्ट नहीं दिखाई दे रही है।

जांच की मांग
स्थानीय लोगों ने इस विषय में खनिज विभाग और वन विभाग से निष्पक्ष जांच की मांग की है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि कहीं विभागीय मिलीभगत से सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग तो नहीं हो रहा।
शासन की योजनाओं को लगे धक्का
सरकार ग्रामीण विकास के लिए योजनाएं तो बना रही है, लेकिन जब स्थानीय प्रतिनिधि और अधिकारी मानकों की अनदेखी कर निर्माण कार्य कराते हैं, तो इससे सरकारी प्रयासों को सीधा धक्का लगता है। यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इससे ना सिर्फ वित्तीय नुकसान होगा, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र को भी गंभीर क्षति पहुँच सकती है।
