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भगवान जगन्नाथ ने लिया गणेश रूप: भक्त गणपति भट्ट को मिला चमत्कारी दर्शन का वरदान

भगवान जगन्नाथ ने लिया गणेश रूप: भक्त गणपति भट्ट को मिला चमत्कारी दर्शन का वरदान

भारत की पौराणिक परंपरा में भक्त वत्सल्यता का विशेष स्थान है। भगवान श्री गणेश, जिन्हें बाप्पा के नाम से भी जाना जाता है, अपनी कृपा और भक्तों के प्रति प्रेम के लिए प्रसिद्ध हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक और चमत्कारी कथा 16वीं शताब्दी की बताई जाती है, जब महाराष्ट्र के एक गांव में गणपति भट्ट नामक परम भक्त का जीवन ईश्वर की भक्ति में बदल गया।

तीर्थ यात्रा और विचलन

गणपति भट्ट सदैव गणेश भक्ति में लीन रहते थे। एक दिन वे चारधाम की तीर्थ यात्रा पर निकले। यात्रा के दौरान जब वे पुरी (ओडिशा) पहुंचे तो वहां उन्हें कहीं भी गणेश मंदिर नहीं दिखाई दिया। यह देखकर वे अत्यंत दुखी हो गए। गणेश भक्ति में मग्न भट्ट जी ने भगवान जगन्नाथ के मंदिर में दर्शन तक नहीं किए और पुरी को छोड़कर तीर्थ यात्रा बीच में ही रोक दी।

मंदिर निर्माण का संकल्प

पुरी से लौटते समय उन्होंने गणेश जी का एक मंदिर तराशने का निश्चय किया और कार्य में लग गए। उन्होंने पुरी में नारायण प्रसाद तक ग्रहण नहीं किया क्योंकि उनके मन में यही चल रहा था कि जहां बाप्पा न हों, वहां कैसे कुछ स्वीकार किया जा सकता है।

चमत्कारी ब्राह्मण का आगमन

मंदिर निर्माण के दौरान एक तेजस्वी ब्राह्मण उनके पास आया और कहा –
“गणपति भट्ट जी, प्रभु जगन्नाथ अपने भक्तों की भावना से प्रसन्न होकर स्वरूप बदल सकते हैं। आपने मंदिर में जाकर भगवान जगन्नाथ के समक्ष बाप्पा का स्मरण क्यों नहीं किया?”

यह वाक्य सुनकर गणपति भट्ट स्तब्ध रह गए। उन्हें महसूस हुआ कि यह कोई साधारण ब्राह्मण नहीं था, बल्कि यह स्वयं भगवान का संकेत था।

गणेश रूप में दर्शन

इस घटना के तुरंत बाद वे पुनः पुरी लौटे और जगन्नाथ मंदिर पहुंचे। संयोगवश उस दिन ज्येष्ठ पूर्णिमा थी। उन्होंने मंदिर में गणेश स्तुति की। तभी भगवान जगन्नाथ स्वयं प्रकट हुए — लेकिन गणेश जी के रूप में। यह दर्शन इतना चमत्कारी था कि गणपति भट्ट भाव-विभोर हो गए।

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