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पुरी के बेड़ी हनुमान मंदिर की रहस्यमयी गाथा: जगन्नाथ मंदिर के रक्षक श्री हनुमानजी

ओड़िशा राज्य के पुरी नगर में स्थित श्रीजगन्नाथ मंदिर न केवल श्रद्धा और भक्ति का केंद्र है, बल्कि यह भारत के चार प्रमुख धामों में से एक है। इस मंदिर से जुड़ी अनेक रहस्यमयी और अद्भुत कथाएं हैं, जिनमें से एक है ‘बेड़ी हनुमान मंदिर’ की कथा, जो इस बात की गवाही देती है कि किस प्रकार भगवान हनुमान आज भी इस मंदिर की रक्षा करते हैं।

कैसे बने बेड़ी हनुमान मंदिर के रक्षक?

ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा इंद्रद्युम्न ने हनुमानजी की प्रेरणा से करवाया था। इस पवित्र स्थान के चारों दिशाओं में हनुमानजी की चौकियां हैं, लेकिन विशेष बात यह है कि मंदिर के मुख्य द्वार के सामने, समुद्र तट के पास स्थित है ‘बेड़ी हनुमानजी’ का मंदिर।

किंवदंती के अनुसार, तीन बार समुद्र ने श्रीजगन्नाथ मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया था। इसके पश्चात महाप्रभु जगन्नाथ ने समुद्र को नियंत्रित करने के लिए वीर हनुमान को नियुक्त किया। किंतु, जब-तब हनुमानजी मंदिर में दर्शन के लोभ में प्रवेश कर जाते थे, तो समुद्र भी उनके पीछे नगर में घुस आता था। परिणामस्वरूप, मंदिर को बार-बार संकट का सामना करना पड़ता था।

इस समस्या के समाधान हेतु, महाप्रभु जगन्नाथ ने स्वयं हनुमानजी को स्वर्ण की बेड़ियों से बांध दिया, ताकि वे अपने स्थान से विचलित न हों और सागर की मर्यादा बनी रहे। तभी से वे ‘बेड़ी हनुमान’ के नाम से प्रसिद्ध हो गए।

आज भी है आस्था का केंद्र

आज यह स्थान न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि दर्शनार्थियों के लिए अद्भुत चमत्कारी स्थल भी माना जाता है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां हनुमानजी के दर्शन करने आते हैं और यह मानते हैं कि वे आज भी जगन्नाथ मंदिर की रक्षा कर रहे हैं।

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