ककनमठ मंदिर: चंबल बीहड़ों में खड़ा 1000 साल पुराना शिवधाम, जिसके लटके पत्थर करिश्मा हैं

ककनमठ मंदिर: संक्षिप्त परिचय
मध्य प्रदेश के मुरैना ज़िले के सिहोनिया कस्बे में स्थित ककनमठ मंदिर चंबल अंचल की निराली पहचान है। माना जाता है कि इसे 11वीं शताब्दी में कच्छपघात शासक कीर्तिराज ने शिव भक्ति में निर्मित कराया था। फिर भी, लोककथाओं के अनुसार इसे “भूतों” द्वारा एक ही रात में खड़ा किया गया—यही कथा आज भी यात्रियों को रोमांचित करती है।
क्यों अनूठा है यह शिवधाम
- इमारती तकनीक: पत्थरों को बिना गारे के सिर्फ वजन-संतुलन से साधा गया है; फलतः 120 फीट ऊँचा शिखर ध्वंसों के बीच भी अडिग खड़ा है।
- दृश्य प्रभाव: दूर-दूर से लटकती शिलाएँ अलग-अलग कोणों पर दिखती हैं, इसीलिए पहली झलक में मंदिर गिरता-सा प्रतीत होता है—हालाँकि हज़ार वर्ष से वह अचल है।
- ऐतिहासिक प्रमाण: मुग़ल दौर में तोपें दाग़े जाने के बावजूद मूल गर्भगृह तथा शीर्ष संरचना बरकरार रहीं; आस-पास के छोटे मंदिर ज़रूर ढह गए।

पुराण और स्थानीय मान्यता
भक्तों का विश्वास है कि शिव के “भूतनाथ” स्वरूप से प्रेरित होकर अदृश्य शक्तियों ने रातों-रात निर्माण किया। इसी कारण यहाँ रात्रि में अलौकिक गतिविधियों की कहानियाँ भी प्रचलित हैं, किंतु मंदिर-परिसर आज सुरक्षित एवं शांतिपूर्ण पर्यटन-स्थल है।
कला और पर्यटन महत्व
मंदिर-दीवारों पर उत्कीर्ण देवी-देवताओं की मूर्तियाँ खजुराहो शैली की याद दिलाती हैं।
- सड़क मार्ग से यह स्थल ग्वालियर से लगभग 65 किमी और मुरैना से 30 किमी दूर है;
- इसके अलावा, आगरा-ग्वालियर हाईवे से भी सीधा पहुँच उपलब्ध है।
पर्यटकों को, विशेषकर इतिहास-रसिकों और वास्तु प्रेमियों को, यह विरासत अवश्य आकर्षित करती है।
संरक्षण चुनौतियाँ और आशाएँ
यद्यपि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इसे संरक्षित स्मारक घोषित किया है, बुनियादी पर्यटन सुविधाएँ सीमित हैं। अतः स्थानीय प्रशासन-स्तर पर बेहतर मार्ग-संकेत, प्रकाश व्यवस्था और सूचना-पट्टिका लगाना ज़रूरी है, जिससे विरासत-पर्यटन को बढ़ावा मिल सके।