अफसरों की तकरार से सियासत तक: कानपुर में डीएम-सीएमओ विवाद पर अब गोल्डन बाबा की एंट्री

रिपोर्ट – शिवा शर्मा
कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह और मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिदत्त नेमि के बीच चला आ रहा प्रशासनिक विवाद अब न केवल सार्वजनिक, बल्कि सियासी रूप भी ले चुका है। यही नहीं, अब इस मुद्दे में शहर के चर्चित गोल्डन बाबा की सक्रियता ने इस मामले को और भी चर्चित बना दिया है।

कैसे शुरू हुआ विवाद?
इस टकराव की शुरुआत तब हुई जब जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने काशीराम अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। वहां उन्होंने करीब सौ डॉक्टरों और कर्मचारियों को अनुपस्थित पाया और सीएमओ को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए।

हालांकि, सीएमओ हरिदत्त नेमि की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। जब डीएम ने दोबारा निर्देश दिए, फिर भी स्थिति जस की तस रही। इसके बाद, एक बैठक में जब सीएमओ पहुंचे तो जिलाधिकारी ने उन्हें लौटने के लिए कह दिया, जिससे सीएमओ ने इसे अपनी अपमानजनक स्थिति माना और विरोध में खुलकर बयानबाजी शुरू कर दी।

बीजेपी विधायक भी दो धड़ों में बंटे
विवाद यहीं नहीं रुका। जल्द ही यह मामला राजनीतिक रूप ले बैठा।
- विधानसभा अध्यक्ष एवं महाराजपुर विधायक सतीश महाना ने सीएमओ का पक्ष लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा।
- इसके जवाब में बिठूर विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने सीएमओ को सबसे भ्रष्ट अधिकारी बताते हुए डीएम के समर्थन में पत्र भेजा।

इसी बढ़ते विवाद को देखते हुए मुख्यमंत्री ने विशेष जांच टीम से मामले की जांच कराने के निर्देश जारी कर दिए हैं। यह फैसला प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही की दृष्टि से अहम माना जा रहा है।
गोल्डन बाबा ने रथ निकाल कर जताया समर्थन
अब इस पूरे घटनाक्रम में गोल्डन बाबा ने भी अपनी दखल दी है। उन्होंने एक बैटरी रिक्शा को रथ का रूप देते हुए, उस पर जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह की बड़ी फोटो और “ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी” जैसे संदेश लिखवाए हैं।

इस रथ की शहरभर में चर्चा है और इसे भ्रष्टाचार के विरुद्ध प्रतीकात्मक समर्थन के रूप में देखा जा रहा है। इससे यह भी उजागर हो रहा है कि सरकारी अभियान सिर्फ कागज़ों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि ज़मीनी स्तर पर भी लागू होना चाहिए।