
रिपोर्ट – शिवा शर्मा
कानपुर: पुलिस कमिश्नरेट ने अपराध नियंत्रण के लिए एक तकनीकी और सटीक निगरानी प्रणाली की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। पुलिस कमिश्नर आखिल कुमार की पहल पर अब हिस्ट्रीशीटरों और जिलाबदर अपराधियों पर GPS ट्रैकिंग सिस्टम के माध्यम से नजर रखी जाएगी।
अब तक पुलिस को इन अपराधियों की निगरानी के लिए उनके घर तक जाना पड़ता था, लेकिन इस नई प्रणाली से यह काम कहीं अधिक स्मार्ट और दक्ष तरीके से किया जाएगा। इससे न केवल पुलिस बल के संसाधनों की बचत होगी, बल्कि अपराधियों पर नियंत्रण भी ज्यादा प्रभावी तरीके से किया जा सकेगा।

पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट
इस योजना को फिलहाल इच्छुक अपराधियों पर एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है। इसका उद्देश्य यह है कि ऐसे अपराधी जिन्होंने अपराध का रास्ता छोड़ दिया है, उन्हें अनावश्यक रूप से परेशान न किया जाए, जबकि जो अपराध में सक्रिय हैं, उन पर सख्त निगरानी रखी जाए।

GPS सिस्टम के माध्यम से जैसे ही कोई जिलाबदर अपराधी या पैरोल पर छूटा अपराधी शहर में प्रवेश करता है, उसकी लोकेशन की सूचना स्वतः पुलिस को मिल जाएगी। साथ ही, मोबाइल आधारित वीडियो कॉलिंग और लाइव ट्रैकिंग के ज़रिए भी संपर्क और निगरानी आसान हो सकेगी।
कुछ तकनीकी चुनौतियाँ भी
हालांकि इस प्रणाली में कुछ तकनीकी सीमाएं भी सामने आ रही हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि मोबाइल की बैटरी समाप्त हो जाए या इंटरनेट उपलब्ध न हो, तो ट्रैकिंग में बाधा आ सकती है। इसके अलावा, यह भी विचाराधीन है कि आवश्यक डिवाइस और तकनीकी संसाधन कहां से और कैसे खरीदे जाएं।

पुलिस आयुक्त की स्पष्ट योजना
पुलिस आयुक्त आखिल कुमार ने स्पष्ट किया है कि जब तक सभी तकनीकी पहलुओं को पूरी तरह व्यवस्थित नहीं कर लिया जाता, तब तक यह प्रणाली पूर्णरूपेण लागू नहीं की जाएगी। लेकिन एक बार यह व्यवस्था सक्रिय हो गई, तो इससे निगरानी तंत्र और अधिक प्रभावी, सटीक और आधुनिक बन जाएगा।