कानपुर में डीएम-सीएमओ विवाद पर भाजपा विधायकों में मतभेद, मामला पहुंचा मुख्यमंत्री तक

रिपोर्ट – नीरज तिवारी
कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरिदत्त नेमी के बीच बढ़ता विवाद अब न केवल प्रशासनिक बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी चर्चाओं का केंद्र बन गया है। यह विवाद उस समय गहराया जब कथित तौर पर सीएमओ के दो ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिनमें जिलाधिकारी की कार्यशैली को लेकर सवाल उठाए गए।

कैसे शुरू हुआ विवाद?
जानकारी के अनुसार, वायरल हुए ऑडियो में डीएम के बारे में कहा गया है कि “यूपी के 75 जिलों में यह इकलौते डीएम हैं जो ढोल बजा रहे हैं।” हालांकि, सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी ने इन ऑडियो क्लिप्स को फर्जी बताया है और कहा है कि “यह मेरी आवाज नहीं है, आजकल AI तकनीक से कुछ भी संभव है।”

विवाद तब और बढ़ गया जब डीएम ने सीएम समीक्षा बैठक से सीएमओ को बाहर कर दिया। सीएमओ का दावा है कि डीएम ने तंज कसते हुए कहा, “सीएमओ साहब आप तो AI हो गए थे, मगर आप तो जिंदा हैं, यहां बैठे हैं।”
अब तक क्या हुआ?
इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीतिक रंग ले लिया है। डीएम ने शासन को पत्र लिखकर सीएमओ को हटाने की सिफारिश की है, वहीं दूसरी ओर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, विधायक सुरेंद्र मैथानी और एमएलसी अरुण पाठक ने उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को पत्र भेजकर सीएमओ को कानपुर में ही रखने की मांग की है।

इसके विपरीत, बिठूर विधायक अभिजीत सिंह सांगा और विधायक महेश त्रिवेदी ने सीएमओ को भ्रष्टाचारी बताते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा के भीतर भी इस मामले को लेकर मतभेद उभर आए हैं।
राजनीतिक असर
यह विवाद केवल प्रशासनिक नहीं बल्कि भाजपा के भीतर दोफाड़ की स्थिति भी दर्शा रहा है। जहां कुछ विधायक सीएमओ के समर्थन में खड़े हैं, वहीं कुछ ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस बीच, जनता भी यह देखने को उत्सुक है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस विवाद को कैसे सुलझाएंगे।