
रिपोर्ट – शिवा शर्मा / नीरज तिवारी
कानपुर। चर्चित बिकरू कांड में फंसे पूर्व थाना प्रभारी विनय तिवारी को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। उन पर यह गंभीर आरोप था कि उन्होंने दबिश की सूचना मुख्य आरोपी विकास दुबे तक पहुंचाई थी, जिससे वह हमले की योजना बना सका। अब अदालत से मिली राहत ने इस बहुचर्चित मामले को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है।

क्या था बिकरू कांड?
यह दर्दनाक घटना 2 जुलाई 2020 की रात घटित हुई थी। उस रात सीओ देवेंद्र मिश्रा के नेतृत्व में चौबेपुर और शिवराजपुर थानों की पुलिस टीम ने विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए कानपुर के बिकरू गांव में दबिश दी थी।

लेकिन पुलिस टीम के पहुंचते ही विकास दुबे, उसका मामा, भांजा अमर दुबे और अन्य साथियों ने घात लगाकर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई के बावजूद, अंधेरे और गांव की भौगोलिक जानकारी का फायदा उठाकर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई।

विनय तिवारी पर आरोप क्या था?
जांच के दौरान यह सामने आया कि दबिश की जानकारी पूर्व एसएचओ विनय तिवारी द्वारा विकास दुबे तक पहले ही पहुंचा दी गई थी, जिससे वह पूरी तैयारी के साथ पुलिस का इंतज़ार कर रहा था। इसी आधार पर तिवारी पर मुखबिरी और अपराध में अप्रत्यक्ष सहयोग का मामला दर्ज हुआ था।

अब हाईकोर्ट ने प्रक्रियागत और साक्ष्यगत आधार पर उन्हें जमानत प्रदान की है, हालांकि मुकदमा अभी लंबित है।

बिकरू कांड के बाद की कार्रवाई
इस घटना ने उत्तर प्रदेश पुलिस और सरकार को झकझोर दिया था। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए विकास दुबे के भांजे अमर दुबे और मामा को मार गिराया था, साथ ही कुछ दिन बाद दो अन्य साथियों को भी पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया गया था तभी मध्य प्रदेश से खबर आई कि विकास दुबे उज्जैन में पकड़ा गया है

जिसके बाद यूपी एसटीएफ की टीम मध्य प्रदेश के उज्जैन को रवाना हो गई थी जहां से विकास दुबे को सड़क मार्ग के जरिये लाया जा रहा था

लेकिन कानपुर की सीमा में प्रवेश के बाद वह कथित रूप से एसटीएफ जवान की पिस्टल छीनकर भागने लगा। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया।