IIT कानपुर की SMSS लैब ने पूरे किए 25 वर्ष, स्मार्ट मैटेरियल्स रिसर्च में हासिल की कई उपलब्धियां

रिपोर्ट – शिवा शर्मा
कानपुर: IIT कानपुर की प्रतिष्ठित स्मार्ट मैटेरियल्स, स्ट्रक्चर्स और सिस्टम्स (SMSS) लैब ने अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर संस्थान में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें लैब की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं को साझा किया गया।

SMSS लैब की स्थापना 8 जून 2000 को की गई थी, और इसे शुरुआत में AR&DB और ACECOST परियोजना के अंतर्गत ग्रांट-इन-एड के रूप में सहायता प्राप्त हुई। इसके अलावा, MODROB ग्रांट के माध्यम से IIT कानपुर और शिक्षा मंत्रालय, तथा ISRO, HAL, GAIL जैसी बड़ी संस्थाओं ने भी लैब को सहयोग प्रदान किया।
शिक्षा और अनुसंधान में उत्कृष्ट योगदान
पिछले ढाई दशकों में SMSS लैब ने स्मार्ट सेंसर, एक्टुएटर, रोबोटिक्स और सिस्टम डिजाइन जैसे क्षेत्रों में निरंतर अनुसंधान किया है। अब तक इस प्रयोगशाला से 116 M.Tech/MS(R)/M.Des छात्रों ने शोध कार्य पूर्ण किया है, जबकि 22 छात्रों ने पीएच.डी. पूरी की है।

इस वर्ष, 5 पीएच.डी. और 2 M.Tech छात्र IIT कानपुर के 58वें दीक्षांत समारोह में स्नातक हुए हैं। उनके शोध विषयों में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए शेप मेमोरी अलॉय फिन कूलिंग, मेटामटेरियल आधारित साउंड ट्रांसड्यूसर, कृषि रोबोट, स्मार्ट ग्रिपर, और जल गुणवत्ता जांचने वाले ऑटोनॉमस सिस्टम शामिल रहे।
नवाचार और राष्ट्रीय परियोजनाओं में सक्रिय योगदान
SMSS लैब ने सबस्टेशन निरीक्षण रोबोट (SIR) जैसे प्रभावशाली नवाचार किए हैं। इसके अतिरिक्त, CMPDI, CPRI, Portescape, और IIT कानपुर के सहयोग से कार्गो हाइपरलूप, व्हीलचेयर डिजाइन, SMA आधारित रोटरी एक्टुएटर्स और बिजली निरीक्षण ड्रोन जैसे कई राष्ट्रीय मिशन प्रोजेक्ट्स पर कार्य जारी है।

वैश्विक सहभागिता और अनुसंधान
यह लैब 200 से अधिक शोध पत्र, 60+ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में सहभागिता और 25 से अधिक पेटेंट हासिल कर चुकी है। साथ ही यह जापान, इटली, ताइवान, स्वीडन, यूके, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के शोध संस्थानों के साथ संयुक्त परियोजनाओं में भी संलग्न है।

समापन पर आभार प्रकट
कार्यक्रम के समापन पर SMSS लैब ने अपने पूर्व छात्रों, शोधकर्ताओं, इंटर्न्स, स्टाफ, IIT कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, तथा सभी सहयोगी और वित्तीय संस्थाओं का आभार व्यक्त किया। उनके समर्थन से ही यह प्रयोगशाला नवाचार और शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर अग्रसर रह सकी है।