UP Police Reform : “अब अपराधियों की खैर नहीं”: यूपी पुलिस अब CBI-ED जैसी प्रक्रिया अपनाएगी, गिरफ्तारी व तलाशी में कड़े नियम लागू

UP Police Reform : उत्तर प्रदेश में अपराध नियंत्रण को और कठोर बनाने की दिशा में यूपी पुलिस अब केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों CBI और ED जैसा पारदर्शी और जवाबदेह संचालन अपनाने जा रही है। इस संबंध में यूपी डीजीपी कार्यालय से 16 बिंदुओं वाला नया दिशा-निर्देश जारी किया गया है, जो हर गिरफ्तारी और तलाशी की प्रक्रिया को विधिवत कागजी रूप देने को अनिवार्य कर देता है।
मुख्य सुधार और नए नियम
- हर आरोपी की गिरफ्तारी के लिए एक ज़िम्मेदार अधिकारी (SI या उससे ऊपर) को नियुक्त करना होगा, जो गिरफ्तारी की हर जानकारी जैसे समय, स्थान, कारण और गवाह विवरण रिकॉर्ड करेगा और संबंधित जिले के कंट्रोल रूम में इसे सार्वजनिक भी करेगा।
- तलाशी व बरामद सामान संबंधी सभी विवरण भी दस्तावेजी रूप में दर्ज होंगे। संपूर्ण प्रक्रिया में दो स्वतंत्र गवाहों के हस्ताक्षर अनिवार्य रखे गए हैं।
- गिरफ्तारी एवं तलाशी से संबंधित नयी प्रारूपित मेमो फॉर्मेट्स लागू किए गए हैं, जिसमें आरोपी को उसकी बेनतीजा बरी होने की स्थिति में उसके अधिकारों की जानकारी, आरोपों की जानकारी, मेडिकल परीक्षण की स्तिथि आदि दर्ज होती है।
ये सुधार तब लागू किए गए हैं जब यूपी पुलिस ने अपनी 10‑पॉइंट रोडमैप के तहत अपराध नियंत्रण, तकनीकी सहायता, जवाबदेही और महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। नए DGP श्री राजीव कृष्णा ने इन पहलुओं का जोर देते हुए कहा कि लोक शिकायत निवारण और जमीनी स्तर पर पारदर्शिता अत्यंत आवश्यक है।
महत्वपूर्ण सुधार
- साइबर अपराधों के लिए Rs 5 लाख की सीमा हटाई गई, अब IT एक्ट से संबंधित सभी मामले cybercrime पुलिस स्टेशन में दर्ज होंगे।
- Economic Offences Wing द्वारा ‘रिवॉर्ड और पनिश’ प्रणाली शुरू की गई ताकि वित्तीय अपराधों की जांच अधिक तेज़ और जवाबदेह बन सके।
- अपराध नियंतरण के लिए फोरेंसिक लैब्स की संख्या बढ़ाई गई — अब यूपी में 12 मुख्य और 6 अतिरिक्त लैब कार्यरत हैं — जिससे वैज्ञानिक सबूतों की सहायता से जघन्य अपराधों में त्वरित कार्रवाई संभव हुई है।
उत्तर प्रदेश पुलिस अब अपराधियों के खिलाफ Zero Tolerance नीति के साथ-साथ CBI/ED जैसा विधिवत और पारदर्शी प्रक्रिया अपना रही है। इन नई व्यवस्थाओं से आरोपी के अधिकारों की सुरक्षा, पुलिस की जवाबदेही और मुकदमेबाजी की गति में सुधार की उम्मीद है। यह पुलिसिंग मॉडल राज्य को कानून-व्यवस्था में नई दिशा देने वाला माना जा सकता है।
हर गिरफ्तारी होगी रजिस्टर्ड बनेगा पूरा रिकॉर्ड
अब से हर आरोपी की गिरफ्तारी के लिए एक नामित अधिकारी जिम्मेदार होगा, जो पूरी प्रक्रिया का रिकॉर्ड तैयार करेगा – जिसमें गिरफ्तारी का समय, स्थान, कारण, आरोपी के बयान, मेडिकल जांच की रिपोर्ट और बरामद वस्तुओं का ज़िक्र शामिल होगा. यह जानकारी जिले के कंट्रोल रूम में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित भी की जाएगी, ताकि कोई सवाल न उठ सके.
स्वतंत्र गवाहों की मौजूदगी होगी जरूरी
गिरफ्तारी के समय कम से कम दो स्वतंत्र गवाहों के दस्तखत अनिवार्य कर दिए गए हैं. इससे यह सुनिश्चित होगा कि गिरफ्तारी प्रक्रिया निष्पक्ष रही है और किसी भी प्रकार की ज़्यादती से इनकार नहीं किया जा सकता.
सीनियर अफसर की निगरानी होगी अनिवार्य
गिरफ्तारी में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए, हर केस में एक SI या उससे वरिष्ठ अधिकारी की मौजूदगी अनिवार्य होगी. इसके अलावा हर जिले में एक जिम्मेदार अधिकारी तैनात किया जाएगा, जो यह देखेगा कि गिरफ्तारी प्रक्रिया तय मानकों के अनुरूप हो रही है या नहीं.
हर वस्तु का विवरण
आरोपी के पास से बरामद सामान की पूरी सूची अब केस फाइल का हिस्सा बनेगी. यह न सिर्फ अदालत में एक मजबूत साक्ष्य बनेगा, बल्कि आरोपी के अधिकारों की रक्षा का भी आधार होगा. सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए यह आदेश संविधानिक मूल्यों की ओर एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
परिवार को मिलेगी सही जानकारी
इस व्यवस्था से पुलिस सिर्फ ताकत का नहीं, न्याय का प्रतीक बनेगी. अब परिजनों को समय रहते जानकारी मिल सकेगी, और फालतू की भागदौड़ से मुक्ति भी मिलेगी. डीजीपी मुख्यालय ने इस आदेश को सभी पुलिस कप्तानों को भेजते हुए सख्ती से पालन के निर्देश दिए हैं. अब देखने वाली बात ये होगी कि ये दिशा-निर्देश कागजों तक सीमित रहते हैं या वाकई यूपी पुलिस की छवि में मूलभूत बदलाव लाते हैं.