इतिहासनई दिल्ली

Mahatma Phule Jayanti 2025 : समानता, शिक्षा और सामाजिक क्रांति के अग्रदूत के पक्षधर थे महात्मा ज्योतिबा फुले

Mahatma Phule Jayanti 2025 : आज भारत एक ऐसे समाज सुधारक को याद कर रहा है, जिन्होंने न केवल जाति व्यवस्था को चुनौती दी, बल्कि स्त्री शिक्षा की अलख भी जगाई। महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले की 198वीं जयंती पर देशभर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। महात्मा ज्योतिबा फुले भारत के महान व्यक्तित्वों में से एक थे। ये एक समाज सुधारक, लेखक, दार्शनिक, विचारक, क्रान्तिकारी के साथ साथ विविध प्रतिभाओं के धनी थे। इनको महात्मा फुले एवं जोतिबा फुले के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने महाराष्ट्र मे सितम्बर 1873 में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन किया। महिलाओं, पिछडे और अछूतो के उत्थान के लिये महात्मा ज्योतिबा फूले ने अनेक कार्य किए। वे समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे।

जन्म और आरंभिक जीवन

  • जन्म: 11 अप्रैल 1827
  • स्थान: कटगांव, पुणे (महाराष्ट्र)
  • जाति: माली (वर्तमान OBC वर्ग)
  • बचपन में ही उन्होंने समाज में व्याप्त जातीय भेदभाव को अनुभव किया। जब उन्होंने ब्राह्मणों की शादी में हिस्सा लिया, तो उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया — यही घटना उनके मन में क्रांति का बीज बनी।

शिक्षा की क्रांति

  • फुले ने महसूस किया कि शिक्षा ही सामाजिक गुलामी तोड़ने का सबसे प्रभावी हथियार है।
  • उन्होंने 1848 में पुणे में भारत का पहला बालिका विद्यालय शुरू किया।
  • उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को पढ़ाना शुरू किया और उन्हें भारत की पहली महिला शिक्षिका बनाया।

स्त्रियों और शूद्रों के अधिकारों के लिए संघर्ष

  • 1852 में उन्होंने दलितों के लिए स्कूल खोले।
  • 1855 में ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना की – इसका उद्देश्य था बिना ब्राह्मणों के धार्मिक संस्कार करना, जातिवाद और अंधविश्वास का विरोध करना।
  • विधवाओं की पुनर्विवाह, कन्या भ्रूण हत्या और बाल विवाह के विरोध में आंदोलन चलाया।

प्रमुख रचनाएँ और विचार

कृतिविषय
गुलामगिरी (1873)ब्राह्मणवाद और जातीय शोषण पर तीखा प्रहार
त्रितीया रत्नस्त्रियों की शिक्षा और आत्मनिर्भरता
किसान का कोड़ाकिसानों की दुर्दशा और सामाजिक अन्याय पर आधारित

उनका सबसे प्रसिद्ध वाक्य था :
“समानता से ही समाज में सच्चा विकास संभव है।”

मृत्यु और विरासत

  • निधन: 28 नवंबर 1890
  • आज महाराष्ट्र सहित पूरे भारत में उन्हें एक महान समाज सुधारकदलितों के मसीहा और शिक्षा के क्रांतिकारी के रूप में सम्मानित किया जाता है।

सरकारी सम्मान और स्मृति

  • महाराष्ट्र में हर साल 11 अप्रैल को ‘फुले जयंती’ के रूप में मनाया जाता है।
  • उनके नाम पर कई विश्वविद्यालय, पुरस्कार और शोध संस्थान स्थापित किए गए हैं।
  • भारत सरकार द्वारा एक डाक टिकट भी जारी किया गया है।

महात्मा फुले का जीवन एक मिशन था – जात-पात, ऊँच-नीच, पितृसत्ता और अंधविश्वास से मुक्त भारत का सपना।
आज भी जब हम शिक्षा, समानता और सामाजिक न्याय की बात करते हैं, तो फुले के विचार पहले पंक्ति में खड़े नजर आते हैं।

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