जातीय उत्पीड़न पर कार्रवाई की मांग को लेकर भारतीय दलित पैंथर ने जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन

रिपोर्ट – विवेक कृष्ण दीक्षित
कानपुर: उत्तर प्रदेश में जातीय उत्पीड़न की घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए भारतीय दलित पैंथर संगठन की ओर से आज कानपुर जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा गया।
दलित, आदिवासी और वंचित वर्ग पर बढ़ते अत्याचार पर जताई चिंता
ज्ञापन में भारतीय दलित पैंथर के राष्ट्रीय अध्यक्ष धनीराम पैंथर ने कहा कि भारत का संविधान समानता, स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय की भावना पर आधारित है। उन्होंने उल्लेख किया कि “दलितों, आदिवासियों और वंचित वर्गों के साथ हो रहे अत्याचार संविधान की आत्मा पर सीधा प्रहार हैं।”

ज्ञापन में इटावा, बिहार, उड़ीसा, कौशांबी, मैनपुरी, प्रतापगढ़ और फतेहपुर जैसे स्थानों पर हुई दुष्कर्म, हत्या और सामाजिक अपमान की घटनाओं का हवाला दिया गया है, जिनके दोषियों पर तत्काल और सख्त कार्यवाही की मांग की गई है।
प्रशासन से निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग
प्रतिनिधियों ने प्रशासन से अनुरोध किया कि इन घटनाओं की त्वरित और निष्पक्ष जांच कराई जाए ताकि दोषियों को कानूनन कड़ी सजा मिल सके और समाज में भयमुक्त वातावरण स्थापित हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि “भारत की पहचान विविधता में एकता की रही है। यदि दलितों पर हो रहे अत्याचारों को रोका नहीं गया, तो यह छवि और संविधान की प्रतिष्ठा दोनों को ठेस पहुंचाएगा।”
प्रशासन ने दिया उचित कार्रवाई का आश्वासन
ज्ञापन सौंपते समय सामाजिक संगठनों के अनेक प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। प्रशासन की ओर से ज्ञापन को गंभीरता से लेते हुए उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया गया।

इसके अतिरिक्त, संगठन ने यह भी आग्रह किया कि प्रशासन ऐसे मामलों में संवेदनशीलता और पारदर्शिता से कार्य करे ताकि न्याय की उम्मीद रखने वाले पीड़ितों को संविधान के अनुसार सुरक्षा और सम्मान मिल सके।