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CJI गवई न्यायिक नियुक्ति स्वतंत्रता

CJI गवई का बड़ा बयान: नेहरू सरकार ने दो वरिष्ठ जजों को किया था नजरअंदाज, न्यायिक स्वतंत्रता अहम

नई दिल्ली।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने हाल ही में न्यायपालिका की स्वतंत्रता और न्यायिक नियुक्तियों को लेकर एक अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि भारत की आज़ादी के बाद दो अवसरों पर तत्कालीन सरकार ने सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों को नजरअंदाज किया, क्योंकि तब अंतिम निर्णय कार्यपालिका के हाथ में होता था।

🔍 न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता की जरूरत

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जजों का स्वतंत्र और निष्पक्ष रहना लोकतंत्र के लिए अत्यंत आवश्यक है। अगर नियुक्तियों में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ेगा, तो इससे न्यायपालिका की विश्वसनीयता और निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लग सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि अब जब कोलेजियम प्रणाली के ज़रिए नियुक्तियां होती हैं, तब भी पारदर्शिता और संतुलन बनाए रखना समय की मांग है।

⚖️ नेहरू काल के संदर्भ में आलोचना

अपने वक्तव्य में CJI गवई ने विशेष रूप से नेहरू सरकार का ज़िक्र करते हुए कहा कि उस दौर में ज्येष्ठता की परंपरा को तोड़कर जजों की नियुक्तियां की गईं, जिससे न्यायिक स्वतंत्रता की भावना को चोट पहुंची थी।

यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच न्यायिक नियुक्तियों के अधिकार को लेकर बहस लगातार बनी हुई है।

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