
Waqf Law 2025 : वक्फ संशोधन कानून का देश के कई इलाकों में विरोध हो रही है। इस बीच बुधवार को वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होगी। देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, पीवी संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। दरअसल, वक्फ संशोधन कानून को रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। जिन पर शीर्ष अदालत 16 अप्रैल को सुनवाई करने जा रही है।
वक्फ एक्ट की इन धाराओं को चुनौती
आपको बता दे की सुप्रीम कोर्ट में मूल वक्फ अधिनियम, 1995 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली नई जनहित याचिका (PIL) भी दाखिल की गई है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय को अनुचित लाभ देता है और गैर-मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है। याचिकाकर्ता एडवोकेट हरी शंकर जैन और मणि मुनजल ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत यह याचिका दाखिल की है और वक्फ अधिनियम, 1995 की धाराओं 3(r), 4, 5, 6(1), 7(1), 8, 28, 29, 33, 36, 41, 52, 83, 85, 89, 101 को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि ये धाराएं संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 27 और 300A का उल्लंघन करती हैं।
20 से ज्यादा याचिकाएं की गई हैं दाखिल
बता दें कि वक्फ संशोधन कानून-2025 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली 20 से ज्यादा याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं। इनमें से ज्यादातर याचिकाओं में इस कानून का विरोध किया गया है। जबकि कुछ याचिकाओं में कानून का समर्थन भी किया गया है। इनमें से दो याचिकाओं में वक्फ के मूल कानून वक्फ एक्ट 1995 को ही चुनौती देते हुए रद्द करने की मांग की गई है।
केंद्र सरकार ने की कैविएट दाखिल
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को होने वाली सुनवाई को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। क्योंकि इनमें से कुछ याचिकाओं में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की गई है। उधर केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है, जिससे इस मामले में सुप्रीम कोर्ट एकतरफा सुनवाई करके कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं कर सकेगा। इसलिए सुप्रीम कोर्ट अपना कोई भी आदेश देने से पहले केंद्र का भी पक्ष सुनेगा।
किस ने दायर की सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं
वक्फ कानून की वैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर करने वालों में ऑल इंडिया मजलिसे एत्याहादुल मुस्लमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और इमरान प्रतापगढ़ी, जीमयत उलमा ए हिन्द के प्रेसिडेंट अरशद मदनी, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स शामिल हैं। इनके अलावा आरजेडी सांसद मनोज झा, द्रमुक सांसद ए.राजा, केरल जमीयतुल उलमा, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, इंडियन मुस्लिम लीग, अंजुम कादरी, तैयब खान, एपीसीआर (नागरिक अधिकार संरक्षण संघ), टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, आप नेता अमानतुल्ला खान और वाइसआर कांग्रेस पार्टी ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर वक्फ संशोधन कानून 2025 को रद्द करने की मांग की है।
बीजेपी शासित इन राज्यों ने किया वक्फ कानून का समर्थन
वहीं देश के सात राज्यों की सरकारों ने इस कानून का समर्थन भी किया है। इनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, असम, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। इन राज्यों की सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप अर्जी दाखिल कर वक्फ संशोधन कानून का समर्थन किया है।