
मानसून मंदिर: जहां छत से टपकती बूंदें देती हैं बारिश का संकेत, मौसम वैज्ञानिक भी मानते हैं सटीक
भारत में कई ऐसे स्थान हैं जो अपने रहस्यमय चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध हैं। इन्हीं में से एक है उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद से लगभग 45 किलोमीटर दूर घाटमपुर के बेहटा बुजुर्ग गांव में स्थित जगन्नाथ मंदिर, जिसे स्थानीय लोग “मानसून मंदिर” के नाम से भी जानते हैं।
हर वर्ष जून के पहले पखवाड़े में इस मंदिर की छत से पानी की बूंदें टपकने लगती हैं और कुछ ही घंटों में आसमान में बादल घिर आते हैं। फिर बिजली की गरज के साथ बारिश होती है। यही कारण है कि यह मंदिर मानसून की सटीक भविष्यवाणी के लिए प्रसिद्ध है।
🔍 गुंबद से टपकती बूंदें देती हैं संकेत
मंदिर के गुंबद पर लगे एक विशेष पत्थर से गिरने वाली बूंदों का रहस्य आज भी वैज्ञानिकों के लिए पहेली बना हुआ है। पुजारी कुड़हा प्रसाद शुक्ला के अनुसार, जैसे ही पत्थर भीगने लगता है और बूंदें गिरती हैं, यह मानसून की दस्तक का संकेत होता है। खास बात यह है कि बारिश होते ही ये बूंदें स्वतः ही सूख जाती हैं।
इस वर्ष भी पत्थर से लगातार अच्छी मात्रा में बूंदें गिर रही हैं, जिससे अच्छे मानसून की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि पुजारी का कहना है कि बारिश कुछ दिन देरी से आ सकती है, लेकिन वर्षा की मात्रा संतोषजनक होगी।
🛕 ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व
यह मंदिर केवल अपने चमत्कार के लिए ही नहीं, बल्कि अपने स्थापत्य के लिए भी खास है। यह उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर से भिन्न है और इसकी बनावट बौद्ध स्तूप से मेल खाती है। इसकी मुख्य मूर्ति और शिल्पकला नागर शैली की हैं, जिससे माना जाता है कि यह मंदिर 11वीं या 12वीं सदी का हो सकता है। संभवतः किसी स्थानीय जमींदार ने बाद में इसका पुनर्निर्माण करवाया।
📜 वैज्ञानिक भी मानते हैं इस संकेत को उपयोगी
यह भी उल्लेखनीय है कि स्थानीय मौसम वैज्ञानिक मंदिर से जुड़े इन संकेतों को वर्षों से गंभीरता से लेते आ रहे हैं। उनके अनुसार, यह परंपरा केवल विश्वास नहीं, बल्कि स्थानीय अनुभव और प्राकृतिक संकेतों पर आधारित है, जिनका प्रयोग खेती-किसानी में मददगार साबित होता है।